मोबाइल और कंप्यूटर पर ज्यादा समय बिताने से खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। छपरा जिले में एक युवक प्रिंस कुमार को फ्री फायर गेम की लत ने अस्पताल में पहुंचा दिया है। वह लगातार गेम हारने से दिमागी तौर पर परेशान हो गया है और नींद नहीं आ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि मोबाइल और कंप्यूटर पर ज्यादा समय बिताने से मस्तिष्क, कमर और गर्दन से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं जो जानलेवा भी हो सकती हैं। बच्चों को कम मोबाइल देना चाहिए और उन्हें फील्ड में खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
प्रिंस कुमार नाम का यह युवक अपने परिजनों से छुपकर मोबाइल पर फ्री फायर गेम खेला करता था। इसकी लत ने उसे इतना जकड़ लिया कि वह अपने परिजनों की बात नहीं मानता था और छुपकर गेम खेलता था। लेकिन अब उसकी दिमागी हालत इतनी खराब हो गई है कि उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है।
परिजनों की मानें तो लगातार गेम हारने से प्रिंस की दिमागी हालत खराब हो गई है। वह अब फ्री फायर गेम की तरह ही एक्टिंग करने लगा है। उसकी नींद गायब हो गई है और वह हमेशा बेचैनी में रहता है। कभी वह खुद पर हमला करने की कोशिश करता है, तो कभी दूसरों पर।
गायब हो गई है नींद
प्रिंस के पिता अक्षय कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे को कई बार मोबाइल पर गेम खेलने से मना किया, लेकिन वह नहीं माना। उन्होंने कई बार उसका मोबाइल भी छीना, लेकिन फिर भी वह दूसरे बच्चों के साथ जाकर छुपकर गेम खेलता था। अक्षय कुमार सिंह ने बताया कि प्रिंस की दिमागी हालत खराब हो गई है, जिस वजह से उसे नींद नहीं आ रही है। वह हमेशा बेचैनी में रहता है और कभी-कभी खुद पर या दूसरों पर हमला करने की कोशिश करता है। इस वजह से परिजन काफी डरे और चिंतित हैं।
वेदांता हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. रवि शंकर ने चेतावनी दी है कि मोबाइल पर गेम खेलने से बच्चों के दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि बच्चों का दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, इसलिए मोबाइल पर गेम खेलने से उनकी दिमागी हालत खराब हो सकती है।
डॉ. रवि शंकर ने कहा कि मोबाइल और कंप्यूटर पर ज्यादा समय बिताने से आंखें सूखने लगती हैं और मस्तिष्क, कमर और गर्दन से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। ये बीमारियां कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती हैं। सलाह दी कि बच्चों को फील्ड में खेलने और फ्री माइंड रहने देना चाहिए। साथ ही, बच्चों के हाथ में कम से कम मोबाइल देना चाहिए। डॉ. रवि शंकर की यह सलाह मोबाइल की लत से बच्चों को बचाने में मदद कर सकती है।